Friday, 18 January 2019

कद्दू की खेती कैसे करें।लोकी की खेती कैसे करें

कद्दू की खेती।

जैसा कि आप जानते हैं कि लोग आजकल कद्दू वर्गीय सब्जी को बढ़ावा देने लगे हैं इसमें कद्दू पेठा लौकी टिंडो आदी सब्जी आती है जिसमें कद्दू और लौकी मुख्य है जैसे अगेती फसल के लिए लोग दिसंबर और जनवरी के महीने में पैकिंग में बीज लगाकर नर्सरी तैयार करते हैं जो कि सही वक्त आने पर उनके पौधे तैयार होते हैं और 25 से 30 दिन अगेती सब्जी प्राप्त करते हैं यह लोग वो करते हैं जिनके बाजार में भाव सब्जी आने के बाद कम हो जाते हैं और अगेती सब्जी में अच्छा मुनाफा हो जाता है जैसे लौकी की और कद्दू की खेती 6 से 8 महीने की होती है। और कुछ लोग 5 में से 8 महीने तक इस की बिजाई करते हैं 
ताकि दीपावली तक इसकी डिमांड बढ़ जाए और अच्छा मुनाफा मिले


3 g cutting -- वैसे तो आजकल 3G कटिंग के नाम से लोग इसकी कटिंग करने लग गए हैं पर इसका एक ही तरीका है कि इसकी जॉब मुख्य डाली होती है उसको आगे बढ़ने ना दे उसको काटकर मिट्टी में नीचे रख दें जिससे उसकी जो अगली जो जड़े हैं वह वहां से शुरू हो जाती है और उससे पहले ब्रांच डालिया निकलनी शुरू हो जाती है।

बीज की मात्रा प्रति बीघा

800 से 900 ग्राम 

बीज का उपचार-

 बिजाई के 10 दिन के अंदर blitox,coppeर ऑक्सी क्लोराइड तथा रिडोमिल गोल्ड को 2ml प्रति लीटर के हिसाब से जड़ों में छिड़काव करें।

बिजाई करने का तरीका।

बीज की बुवाई-एक छोटी पोटली में बीज को भर ले। और 1 से 3 दिन तक उसमें कैप्टन दवा 2ml प्रति लीटर के हिसाब से पानी में मिलाकर रखें।

पौधे से पौधे की दूरी 40×40 centimetre
बेड का साइज 6 फिट चौड़ाई।
बेड की ऊंचाई 15 सेंटीमीटर
बीज को इतना ऊपर लगाए कि पानी की सील पहुंच जाए जड़ों तक।
पानी के निकास के लिए नालियां बड़ी बनानी जरूरी है जिससे जड़ गलन ना हो।

बिजाई का सही समय।

अगेती किस्में (early वैरायटी)-फरवरी-मार्च
साधारण समय(Normally)-April May June
पिछेती किस्म (Late varieties)-July August

अच्छी किस्मे (improved varieties)

1-Mhhycco घिया
2-kashi bahaar

3-kashi Ganga

4-pusa sandesh (high yield)



सिंचाई ( Irrigation)

कद्दू में पानी की जरूरत होती है 3 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी जरूरी है। सिंचाई नहर के पानी से करें तो ज्यादा लाभकारी होती है और ट्यूबवेल से yield  कम होती है पानी कम से कम लगाना चाहिए जिससे पानी खड़ा ना हो सकें और जड़ गलन भी ना हो। नहर के पानी से फसल ज्यादा दिन तक बिना पानी के रह सकती है और बोर के पानी से कम जल्दी ही पानी की जरूरत पड़ जाती है।
सिंचाई हमेशा शाम के वक्त 3:00 से 4:00 बजे के बाद ही करनी चाहिए।

कीटनाशक (ferilizer)

पत्तों पतियों पर भूरे धब्बे जो कि जिंक की कमी से आ जाते हैं जिसमें जिंक 5 किलो प्रति बीघा में मिट्टी के साथ मिलाकर छिड़काव करें।
Corrogen-यह कीटनाशक पत्तों रेंगने वाले कीड़े (कीट)लगते हैं या फिर कीड़े हो तो 1 ग्राम 2 लीटर के हिसाब से छिड़काव करें.
Fortuner-यह फर्टिलाइजर लागत कम हो या फिर फूल झड़ने की शिकायत हो और भूरे रंग के पिसू जैसे कीड़े देखने को मिले तो 12 ग्राम 20 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें और ध्यान रहे कि या तो सुबह सुबह अर्ली मॉर्निंग में या फिर शाम को फूल खुलने के बाद ही इसकी सप्रे करें।1-Red pumpkin beetal--  Marshal 2ml per litre 
2-पद गलन रोग---कैप्टन दवा 2ml प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव करें। या फिर बलाई टॉक्स 50 copper oxychloride और रिडोमिल गोल्ड इन तीनों दवाइयों का घोल बनाकर छिड़काव करें प्रति लीटर में 2ml के हिसाब से मिलाएं।

पैदावार( yield)


बरसात के मौसम में कद्दू की सबसे ज्यादा पैदावार होती है और आमतौर पर एक बीघे में 100 से डेढ़ सौ किलो रोजाना होती है। इसकी कद्दू की लागत 60 से 65 दिनों में शुरू होती हैं। और 7 से 8 महीनों तक पैदावार होती है

1 comment:

How we start poultry farm in field

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