Aaj ke daur mein Tulsi ke paudhe ki kheti ek aisa business hai jise apnakar aap lakhon mein kama sakte hain | Ise Holy basil bhi bola jata hai. Aaye jante hai iski jankari detail mein | अन्य देशो के अपेक्षा Tulsi भारत में एक अती महत्वपूर्ण पौधा है। इसलिए तुलसी खेती में किसान को बहुत हीं कम लागत में अच्छा खासा benefit हो सकता है। सामान्य दिनों में tulsi का पत्ता 25 से 30 रूपए किलो बिकता है लेकिन वही तुलसी के पत्ते की कीमत ठंड के समय चार गुना अधिक हो जाता है। तुलसी की खेती करने वाले तुलसी के बीज को बाज़ार में बेच कर अच्छा रकम कमा लेते है । आइये जानते है कैसे तुसली की खेती करने से किसानो को अधिक मुनाफा हो सकता है ।
Tulsi ki Kheti Kaise Karen / How to do Holy Basil Harvesting
Aaj ke daur mein agar aap Tulsi ke kheti karte hain to yah maan kar chaliye ki yah fayde ka hi sauda hai. Pure India aur dusre countries mein Holy Basil ki acchi demand hai. Iski kheti karna aasan hai aur har mausam mein kiya jaa sakta hai. Aur quki tulsi ka use medicine banane mein bhi hota hai isliye is paudhe mein kam bimari lagti hai aur fasal acchti hoti hai. To chaliye jante hai tulsi ke kheti ki jankari.
भूमि का चयन / तैयारी
तुलसी की खेती हर तरह के भूमि पर की जा सकती है। खेती करने से पहले भूमि की अच्छे से जुताई कर के उसमे गोबर के खाद के साथ nitrogen,phosphorus और potash के मात्रा का भी प्रयोग करना चाहिए।
जलवायु
Tulsi की खेती सभी प्रकार की जलवायु में Suitable है लेकिन गर्मी में इसकी खेती को सर्वोत्तम माना जाता है। सर्दी के दिनों में कुहासे(fog) की वजह से तुलसी के पौधों को नुकसान पहुँचता है जिसकी वजह से उपज में कमी आ जाती है ।
पौधे का रोपन
तुलसी के बीजों बोने से पहले उसे एक controlled temperature में उगाया जाता है। पौधे में जैसे ही 3-4 पत्ते आने लगे उसे जड़ से उखाड़ कर खेत में रोप दिया जाता है। तुलसी के पौधे को रोपने के समय line से line की दूरी 1.5 फिट होनी चाहिए और पौधों से पौधों की दूरी भी 1.5 फिट की होनी चाहिए। पौधे के लगने के बाद time time पर उसकी निराई गुड़ाई भी करते रहना चाहिए तथा उसपर मिट्टी भी चढ़ाते रहना चाहिए ।
खाद प्रबंधन
तुलसी के खेती में खाद के लिए बहुत हीं कम खर्च होता है । इसकी खेती में खाद के रूप में गाय का गोबर तथा तुलसी की कटी पत्तियों का भी use किया जाता है। इसी के वजह से tulsi के खेती में लागत कम लगती है और benefit ज्यादा होता है ।
पौधे की कटाई
लगभग एक महीने में तुलसी का पत्ता काटने योग हो जाता है। तुलसी की कटाई 25 से 26 दिनों के अंतराल पर की जाती है जिसमे 5 से 6 inch पेड़ की कटाई की जाती है ।
रोग नियंत्रण
तुलसी में लगने वाले रोगों से नियंत्रण पाने के लिए लगभग 3ml दवा per litre पानी में mix कर 2 से 3 बार पौधों पर छिड़काव करना चाहिए । ठंड के मौसम में कुहासे(Fog) से भी तुलसी के पौधे को काफी हानि पहुंचता है। इसलिए ठंड के मौसम में कुहासे से बचाव के लिए डायथेम एम. 45 का छिड़काव भी खेतो में करना चाहिए जिससे की पौधे रोग मुक्त रहे और तुलसी की उत्पादन प्रभावित न हो ।
आप इसमें जरूर लिखे की आप सभी को ये जानकारी कैसे लगी।।
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