Hlo,kisaan bhaiyo.jesa ki aap jante h ki aj kal har kisaan chahta h ki wo jyada SE jyada pesa kmaye or ameer bne.ye sambhav h krna pr is k liye kuch technic h Jo janana bahut jruri h..aaj hum baat krte h. Floriculture ki.Jo fulo ki kheti ko kehte h usme bahut si kheti aesi h Jo India me ki jaati h or kai foreign countries me hi ki jaati h..
India me jese.marigold, rose,jaesmeen,guldaudi,rajni gandha,curcuma etc ye Jo flowers h ye bahut hi demand wale flowers h jinki bajaar me demand rhti h..
Aaj hm baat krenge marrygold ki.Jo gende ke naam SE pehchaana jata h..
जलवायु और भूमि (temprature and climate)=जिस भूमि का पी.एच. मान 7.0 से 7.5 के बीच होता है वह भूमि खेती के लिए अच्छी मानी जाती है.
उन्नतशील प्रजातियां(varieties)=अफ्रीकन गेंदा जैसे कि क्लाइमेक्स, कोलेरेट, क्राउन आफ गोल्ड, क्यूपीट येलो, फर्स्ट लेडी, फुल्की फ्रू फर्स्ट, जॉइंट सनसेट, इंडियन चीफ ग्लाइटर्स, जुबली, मन इन द मून, मैमोथ मम, रिवर साइड ब्यूटी, येलो सुप्रीम, स्पन गोल्ड,,मैक्सन गेंदा जैसे कि टेगेट्स ल्यूसीडा, टेगेट्स लेमोनी, टेगेट्स मैन्यूटा आदि,, फ्रेंच गेंदा जैसे कि बोलेरो गोल्डी, गोल्डी स्ट्रिप्ट, गोल्डन ऑरेंज, गोल्डन जेम, रेड कोट, डेनटी मैरिएटा, रेड हेड, गोल्डन बाल आदि चौथे संकर किस्म की प्रजातिया जैसे की नगेटरेटा, सौफरेड, पूसा नारंगी गेंदा, पूसा बसन्ती गेंदा आदि.
)=खेत में क्यारी बना ले और उसको सही ढंग से लेवल करके सडी गोबर खाद डाले और बीज छिरक दे। और कल्रतिवेट कर दे क्यों की पानी लगाने के दोरान बीज पानी के साथ साथ तेर न जाये इस्लिये ।मिटटी में मिलाना आवश्यक ह।बीज की मात्रा
आजकल बहुत technique आ चुकी जेसे ट्रे आती है। नर्सरी तेयार करने के लिए बाजार में आपको आसानी से मिल्जेगी जिसकी मदद से हम अछी तरह इरीगेशन ओर उसके बाद प्लांटिंग कर सकते है। transplanting के दोरान हमें पोधे लगाने में दिकत नही आती। अगर हमारे पास प्लांट ट्रे ह तो आसानी से transplant कर सकते है।जेसा की आप देख सकते ह फोटो में।
रोपाई। गेंदे के पोधे लाइन में लगाए जाते ह।या क्यारिया बनाकर रोपे जाते ह। लाइन से लाइन की दुरी 45-50से मी। और पोधे से पोधे की दुरी60से मी।ये सिर्फ अफ्रीकन गेंदे मे और अन्य किस्मो में होती ह।क्यों की गेंदे का पोधा ज्यादा जगह में फेलता ह।
250 से 300 कुंतल सड़ी गोबर की खाद खेत की तैयारी करते समय प्रति हेक्टेयर की दर से मिला देना चाहिए इसके साथ ही अच्छी फसल के लिए 120 किलोग्राम नत्रजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस तथा 80 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रति हेक्टेयर देना चाहिए. फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा खेत की तैयारी करते समय अच्छी तरह जुताई करके मिला देना चाहिए. नत्रजन की आधी मात्रा दो बार में बराबर मात्रा में देना चाहिए. पहली बार रोपाई के एक माह बाद तथा शेष रोपाई के दो माह बाद दूसरी बार देना चाहिए.
गेंदा में अर्ध पतन, खर्रा रोग, विषाणु रोग तथा मृदु गलन रोग लगते है. अर्ध पतन हेतु नियंत्रण के लिए रैडोमिल 2.5 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम या केप्टान 3 ग्राम या थीरम 3 ग्राम से बीज को उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए. खर्रा रोग के नियंत्रण के लिए किसी भी फफूंदी नाशक को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए. विषाणु एवं गलन रोग के नियंत्रण हेतु मिथायल ओ डिमेटान 2 मिलीलीटर या डाई मिथोएट एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए.
गेंदा में कलिका भेदक, थ्रिप्स एवं पर्ण फुदका कीट लगते है इनके नियंत्रण हेतु फास्फोमिडान या डाइमेथोएट 0.05 प्रतिशत के घोल का छिड़काव 10 से 15 दिन के अंतराल पर दो-तीन छिड़काव करना चाहिए अथवा क़यूनालफॉस 0.07 प्रतिशत का छिड़काव आवश्यकतानुसार करना चाहिए
जब हमारे खेत में गेंदा की फसल तैयार हो जाती है तो फूलो को हमेशा प्रातः काल ही काटना चाहिए तथा तेज धूप न पड़े फूलो को तेज चाकू से तिरछा काटना चाहिए फूलो को साफ़ पात्र या बर्तन में रखना चाहिए. फूलो की कटाई करने के बाद छायादार स्थान पर फैलाकर रखना चाहिए. पूरे खिले हुए फूलो की ही कटाई करानी चाहिए. कटे फूलो को अधिक समय तक रखने हेतु 8 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर तथा 80 प्रतिशत आद्रता पर तजा रखने हेतु रखना चाहिए. कट फ्लावर के रूप में इस्तेमाल करने वाले फूलो के पात्र में एक चम्मच चीनी मिला देने से अधिक समय तक रख सकते है.
पैदावार
गेंदे की उपज भूमि की उर्वरा शक्ति तथा फसल की देखभाल पर निर्भर करती है इसके साथ ही सभी तकनीकिया अपनाते हुए आमतौर पर उपज के रूप में 125 से 150 कुंतल प्रति हेक्टेयर फूल प्राप्त होते है कुछ उन्नतशील किस्मों से पुष्प उत्पादन 350 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होते है यह उपज पूरी फसल समाप्त होने तक प्राप्त होती है.
हमारा ये पोस्ट का लगा प्ल्ज़ कमेन्ट और ज्यादा जानकारी के लिए आप call कर सकते ह।8094480700
India me jese.marigold, rose,jaesmeen,guldaudi,rajni gandha,curcuma etc ye Jo flowers h ye bahut hi demand wale flowers h jinki bajaar me demand rhti h..
Aaj hm baat krenge marrygold ki.Jo gende ke naam SE pehchaana jata h..
जलवायु और भूमि (temprature and climate)=जिस भूमि का पी.एच. मान 7.0 से 7.5 के बीच होता है वह भूमि खेती के लिए अच्छी मानी जाती है.
उन्नतशील प्रजातियां(varieties)=अफ्रीकन गेंदा जैसे कि क्लाइमेक्स, कोलेरेट, क्राउन आफ गोल्ड, क्यूपीट येलो, फर्स्ट लेडी, फुल्की फ्रू फर्स्ट, जॉइंट सनसेट, इंडियन चीफ ग्लाइटर्स, जुबली, मन इन द मून, मैमोथ मम, रिवर साइड ब्यूटी, येलो सुप्रीम, स्पन गोल्ड,,मैक्सन गेंदा जैसे कि टेगेट्स ल्यूसीडा, टेगेट्स लेमोनी, टेगेट्स मैन्यूटा आदि,, फ्रेंच गेंदा जैसे कि बोलेरो गोल्डी, गोल्डी स्ट्रिप्ट, गोल्डन ऑरेंज, गोल्डन जेम, रेड कोट, डेनटी मैरिएटा, रेड हेड, गोल्डन बाल आदि चौथे संकर किस्म की प्रजातिया जैसे की नगेटरेटा, सौफरेड, पूसा नारंगी गेंदा, पूसा बसन्ती गेंदा आदि.
खेती की तेयारी,बीज का छिर्काव /और बीज की मात्रा
आजकल बहुत technique आ चुकी जेसे ट्रे आती है। नर्सरी तेयार करने के लिए बाजार में आपको आसानी से मिल्जेगी जिसकी मदद से हम अछी तरह इरीगेशन ओर उसके बाद प्लांटिंग कर सकते है। transplanting के दोरान हमें पोधे लगाने में दिकत नही आती। अगर हमारे पास प्लांट ट्रे ह तो आसानी से transplant कर सकते है।जेसा की आप देख सकते ह फोटो में।
बीज की मात्रागेंदे की बीज की मात्रा किस्मों के आधार पर लगती है. जैसे कि संकर किस्मों का बीज 700 से 800 ग्राम प्रति हेक्टेयर तथा सामान्य किस्मों का बीज 1.25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है. भारत वर्ष में इसकी बुवाई जलवायु की भिन्नता के अनुसार अलग-अलग समय पर होती है. उत्तर भारत में दो समय पर बीज बोया जाता है जैसे कि पहली बार मार्च से जून तक तथा दूसरी बार अगस्त से सितम्बर तक बुवाई की जाती है. और हाइब्रिड variety का सिर्फ 300 ग्राम बीज 1 hactar में लगता ह। |
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कई दिनों बाद कुछ इस तरह दिखेंगे छोटे पोधे जिसको हम पंजीरी कहते है। |
रोपाई
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पोधे की रोपाई इस तरह करे |
खाद एव उर्ववक
रोग और नियंत्रण
गेंदा में अर्ध पतन, खर्रा रोग, विषाणु रोग तथा मृदु गलन रोग लगते है. अर्ध पतन हेतु नियंत्रण के लिए रैडोमिल 2.5 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम या केप्टान 3 ग्राम या थीरम 3 ग्राम से बीज को उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए. खर्रा रोग के नियंत्रण के लिए किसी भी फफूंदी नाशक को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए. विषाणु एवं गलन रोग के नियंत्रण हेतु मिथायल ओ डिमेटान 2 मिलीलीटर या डाई मिथोएट एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए.
कीट और नियंत्रण
गेंदा में कलिका भेदक, थ्रिप्स एवं पर्ण फुदका कीट लगते है इनके नियंत्रण हेतु फास्फोमिडान या डाइमेथोएट 0.05 प्रतिशत के घोल का छिड़काव 10 से 15 दिन के अंतराल पर दो-तीन छिड़काव करना चाहिए अथवा क़यूनालफॉस 0.07 प्रतिशत का छिड़काव आवश्यकतानुसार करना चाहिए
कटाई और तुराई
पैदावार
गेंदे की उपज भूमि की उर्वरा शक्ति तथा फसल की देखभाल पर निर्भर करती है इसके साथ ही सभी तकनीकिया अपनाते हुए आमतौर पर उपज के रूप में 125 से 150 कुंतल प्रति हेक्टेयर फूल प्राप्त होते है कुछ उन्नतशील किस्मों से पुष्प उत्पादन 350 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होते है यह उपज पूरी फसल समाप्त होने तक प्राप्त होती है.
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